GSTIN क्या है और भारत मे GST कब लागू हुआ
GSTIN kya hai : यदि आप Business करते हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य Business करता है तो आपने कभी न कभी GST का नाम जरूर सुना होगा। आज हम इसी विषय पर बात करने वाले हैं जिसमें हम जानेंगे कि GST / GSTIN क्या होता है और यह भारत में कब लागू हुआ था।

जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे देश में मुख्य रूप से 2 तरह से कर वसूलने की प्रणाली है जिसमें से एक प्रत्यक्ष कर है और दूसरा अप्रत्यक्ष कर। GST एक तरह का अप्रत्यक्ष कर है जिसका भुगतान हम अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं।
GST के संबंध में ऐसी कई बातें हैं जिससे हम या तो अभी तक अनजान हैं या फिर हम अधूरी जानकारी के साथ ही GST को अपना रहे हैं।
GST के बारे में अधूरी जानकारी का ही नतीजा है कि कुछ लोग इसे देश के ऊपर एक आर्थिक बोझ समझते हैं और इसे अपनी जेब पर एक तरह का सरकारी हमला समझते हैं पर सच्चाई यह नहीं है।
GST क्या है और यह कैसे काम करता है इसके बारे में पूरी जानकारी विस्तारपूर्वक समझने के बाद आपके मन में पल रहे कई प्रश्नों के जवाब आज मिल जायेंगे।
तो चलिए देर न करते हुए जानते हैं कि GSTIN क्या है और प्रत्येक व्यापारी के लिए यह नंबर क्यों जरूरी है।
Contents
- 1 GST क्या है|What is GST In Hindi.
- 2 GST की जरूरत क्यों पड़ी?
- 3 GST भारत मे कब लागू हुआ?
- 4 GST की दर.
- 5 GSTIN Kya Hai| What Is GSTIN in Hindi.
- 6 GST की उपयोगिता
- 7 GSTIN के लिए आवेदन कैसे करें?
- 8 GSTIN का Varification कैसे करे?
- 9 GSTIN और GSTN में अंतर.
- 10 GST से जुड़े आपके कुछ सवाल और उनके जवाब.
- 11 Summary
GST क्या है|What is GST In Hindi.
GSTIN क्या है क्या जाने से पहले हमें यह जानना होगा कि आखिर GST क्या है क्योंकि GSTIN का संबंध GST से ही है।
GST एक अप्रत्यक्ष कर है जो कि कोई समान या सुविधा खरीदने पर हमें सरकार को देना पड़ता है।
जैसा कि मैंने ऊपर बताया कि हम सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कर देते हैं प्रत्यक्ष कर के रूप में हम Income Tax, House Tax जमा करते हैं जबकि अप्रत्यक्ष कर के रूप में हम कोई सामान खरीदने पर लगने वाले कर को अदा करते हैं।
GST एक तरह का अप्रत्यक्ष कर है, जो हम अपने देश की केंद्र सरकार और राज्य सरकार को देते हैं।
जैसा कि आपने सुना ही होगा कि GST कुछ उत्पादों में बहुत अधिक होता है, तो हो सकता है आप सोच रहे होंगे कि क्या GST आने के पहले हम सरकार को अप्रत्यक्ष कर नहीं देते थे, पर ऐसा नहीं है।
GST लागू होने के पहले भी हम सरकार को अप्रत्यक्ष कर देते थे लेकिन वह अलग-अलग भागों में होता था। जैसे कि पहले हम अप्रत्यक्ष कर के तौर पर Service Tax,Custom Duty, Excise Duty Value Added Tax इत्यादि सरकार को देते थे।
लेकिन जब से GST देश में लागू हुआ हैं तब से हम GST के अलावा कोई दूसरा Tax नहीं लगता हैं।
इसका कारण यह है कि अप्रत्यक्ष कर के तौर पर लगने वाले सभी Tax को मिलाकर एक Sytem बना दिया गया है जिसका नाम है GST.
GST. में ही सभी तरह के अप्रत्यक्ष करों का समावेश होता है यानी यदि आसान शब्दों में कहें तो अप्रत्यक्ष कर जमा करने की प्रणाली को बहुत ही आसान बना दिया गया है।
GST की जरूरत क्यों पड़ी?

आपके मन में यह सवाल भी उठ सकता है कि जब देश में अप्रत्यक्ष कर जमा करने के कई सिस्टम पहले से ही मौजूद थे तो फिर GST लाने की आखिर क्या आवश्यकता थी?
GST भी तो एक तरह का अप्रत्यक्ष कर है जो कि पहले से ही सरकारों के द्वारा लिया जाता था। और देश को GST के जरूरत थी इसीलिए इस देश में लागू किया गया।
असल में GST के पहले हर राज्य के VAT Rates अलग-अलग थे यानी कि हर राज अपनी जरूरत और सुविधा के अनुसार VAT Rates में उतार-चढ़ाव करते रहते थे।
किसी इन्वेस्टर को लुभाने के लिए कई राज्य VAT Rates ने बहुत ज्यादा कमी कर देते थे जिसका असर यह होता था कि कुछ विशेष राज्यों की तरफ ही कंपनी खींची चली जाती थी और दूसरे राज्य इसका फायदा नहीं उठा पाते थे।
VAT Rates में इस तरह के होने वाले उतार-चढ़ाव से कहीं न कहीं केंद्र सरकार के पूंजी भंडार को भी घाटा लगता था। साथ ही साथ देश के कई राज्यों की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ता था।
इसलिए यह जरूरी था कि सभी राज्य एक ही दर पर अप्रत्यक्ष कर वसूली करें। इसीलिए GST की शुरुआत हुई। GST के आ जाने से सभी राज्य में एक जैसा Tax System लागू हो गया।
एक ही तरह के Product, Good& Service बेचने पर अब दो अलग-अलग राज्य अलग-अलग कीमत नहीं ले सकते। टैक्स लेने का Control अब राज्य सरकारों के बजाय केंद्र सरकार के हाथ में है जो ज्यादा अच्छे तरीके से पूरे देश में Tax सुधार के काम कर सकती है।
GST से मिलने वाले कर पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों का बराबर बराबर अधिकार होता है। जैसे यदि किसी वर्ष किसी राज्य को GST के तौर पर 100 करोड़ रुपए मिले तो उसमें से 50 लाख केंद्र सरकार के अधीन और 50 लाख राज्य सरकार के अधीन होंगे।
वही दो दो राज्यों के बीच होने वाले व्यापार में GST उस राज्य को मिलेगा जहां पर Goods या Service की खपत हुई है।
GST भारत मे कब लागू हुआ?
1 जुलाई 2017 मध्य रात्रि को हमारे देश के राष्ट्रपति के द्वारा GST Launch किया गया था। GST Launch होने के ठीक पहले 30 जून और 1 जुलाई को हमारे देश की संसद के दोनों सदनों में ऐतिहासिक बैठक चली थी, जहाँ दोनों सदनों में एक तीखी बहस हुई थी।
GST Launch समारोह में Business और मनोरंजन जगत के कई बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल हुई थी जिसमें रतन टाटा भी एक हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा GST लागू होने का पूरे देश में बहुत बड़ा विरोध किया गया।
उनका ऐसा मानना था कि यह Tax System कहीं ना कहीं मध्यम एवं निम्न आय पाने वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक है। GST Launch होने के बाद GST Rates में कई बार बदलाव किये गए। GST Rates पर आखिरी बदलाव 22 दिसंबर 2018 को किया गया था जिसमें 28 सामान और 53 सेवाओं के GST Rates बदले गए थे।
GST की दर.
Goods and Service Tax यानी GST की 5 अलग अलग दरें बनाई गई है। इन दरों में अलग अलग Business को रखा गया है। 0%, 5%, 12%, 18%, और 20% कि दर से GST लिया जाता है।
पेट्रोलियम उत्पाद, शराब से जुड़े उत्पाद और बिजली से उत्पादों पर GST नही लिया जाता। इन पर राज्य सरकारें अलग से Tax लगाती है। विलासिता वाले उत्पाद जैसे कि महंगी कार, तम्बाकू के उत्पाद आदि पर 28% GST लगता है। सोना जैसे कीमती धातु पर 3% GST लगता है।
GSTIN Kya Hai| What Is GSTIN in Hindi.

ऐसे कारोबारी जो पहले VAT System के अंतर्गत आते थे उन्हें TIN Number दिया जाता था ठीक उसी तरह अब GSTIN नंबर दिया जाता है, जिसका मतलब है Good & Service Tax Identification Number.
GSTIN full form: Good & Service Tax Identification Number.
जैसा कि ऊपर मैंने बताया है कि अब सभी तरह के अप्रत्यक्ष करों को हटाकर के अप्रत्यक्ष कर के रूप में सिर्फ GST लिया जाता है।
इसलिए अब कारोबारियों को Tax जमा करने के लिए TIN नंबर की जगह GSTIN Number लगता है। अब देश में कोई भी व्यापार करने के लिए या कोई भी उत्पाद का निर्माण करने के लिए GSTIN नंबर होना अनिवार्य है इसके बिना देश में कोई व्यक्ति किसी भी तरह का Business, Manufacturing नहीं कर सकता।
GSTIN नंबर एक 15 अंकों से मिलकर बना होता है, जिसमें हर अंक की एक अलग पहचान होती है। जिनके पास खुद का PAN Card नंबर नही है, उनका GSTIN नंबर नही बन सकता क्योंकि इन 15 Digit में से 10 Digit, PAN Card के होते हैं।
GSTIN की संरचना| Structure Of GSTIN
जीएसटीएन 15 अंकों का Alphanumeric नंबर है जिसका हर एक नंबर एक खास पहचान के बारे में बताता है। GSTIN के पहले दो नंबर आपके राज्य के बारे में बताते हैं।
जैसे आपका व्यापार पंजाब में हैं तो शुरुआत के दो Number 03 होंगे, क्योंकि पंजाब का राज्य Code 03 है। वहीं यदि आप अपना व्यापार गुजरात में शुरू करना चाहते हैं तो आप के पहले 2 अंक 24 होंगे क्योंकि गुजरात राज्य का कोड 24 है।
यदि आपको नहीं पता तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमारे देश के हर एक राज्य का एक कोड होता है यह कोड 0 से शुरू होकर 35 पर खत्म होते हैं जम्मू कश्मीर का कोड Zero एक है जबकि अंडमान और निकोबार का कोड 35 है।
इसके बाद तीसरे स्थान से लेकर के 12 स्थान तक जो नंबर दिए होते हैं वह व्यापार करने वाले का PAN Number होता है। यदि आप GSTIN बनवाना चाहते हैं तो उसके पहले PAN Card बनवाना होगा क्योंकि GSTIN का तीसरे नंबर से लेकर 12 वे स्थान तक का नंबर वही होगा जो आपका PAN Card का नंबर है।
इसके बाद GSTIN का 13वा अंक आता है जो यह बताता है कि आपके पास कितने Business है। जैसे कि यदि आपके पास एक Business है तो 13वे स्थान पर 1 लिखा होगा।
पर यदि आपके पास 2 बिज़नेस है तो पहले Business के GSTIN नंबर पर 13 में स्थान पर 1 तथा दूसरे Business के GSTIN नंबर के 13वें स्थान पर 2 लिखा होगा।
इस तरह यदि आपके पास 9 Business है तो क्रमशः इस स्थान पर 3,4,5,6,7,8,9 लिखता जाएगा। पर जैसे ही आप अपने 10 वे Business का रजिस्ट्रेशन करवाएंगे तो 13 वे स्थान पर A लिखा होगा क्योंकि अब गिनती A-Z चलने लगेगी।
14 वा Digit Z होता है। Z का यहाँ फिलहाल कोई मतलब नही है। यह एक तरह Default Value है, जिसका भविष्य में उपयोग होना संभव है।
15वा Digit एक प्रकार का Check Code है। यह Check Code हम नही बल्कि कंप्यूटर उपयोग करता है। Check Code को बनाने में कुछ विशेष तरीके अपनाए है।
जैसे कि GSTIN Number में पहले अंक से लेकर 14वे स्थान तक के सभी Digit को जोड़ा जाता है। उसके बाद जो अंक मिलता है वही 15 स्थान पर लिखा होता है। इस तरह 15 Digit से मिलकर GSTIN Number बनता है।
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GST की उपयोगिता
- टैक्स जमा करने का बहुत ही आसान तरीका
GST की पूरी प्रक्रिया बहुत ही आसान है। कोई भी व्यापारी अपना GST Online भर सकता है, वो भी बस बहुत ही कम समय में। GST उन लोगों के लिए बहुत ही अच्छा है, जो हाल ही में अपना Business शुरू किए हैं।
किसी नए स्टार्टअप पर काम करने वाले लोगों के पास इतना वक्त नहीं होता कि वो टैक्स लेने वाली अलग-अलग संस्थाओं जैसे कि VAT, Excise, Service Tax आदि में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए ऑफिसों के चक्कर लगाते रहे।
GST के तहत सभी अप्रत्यक्ष कर एक ही बार में जमा हो जाते हैं जिससे कि किसी व्यापारी को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
- E-Commerce से Tax वसूलने की एक अच्छी व्यवस्था.
E-Commerce Website जैसे Flipkart,Amazon इत्यादि से किस तरह VAT लेना है इसके कोई तय नियम नहीं थे। हर राज्य में E-Commerce से जुड़े अलग-अलग नियम थे।
जैसे कि जब Flipkart,Amazon उत्तर प्रदेश में अपना सामान भेजती थी तो इसके लिए उन्हें VAT की जरूरत पड़ती थी। वह अपने डिलीवरी ट्रक में VAT रजिस्ट्रेशन नंबर डालते थे।
पर राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल में ऐसा नियम नही था। इन राज्यों का मानना था कि E-Commerce वेबसाइट खुद उत्पाद नहीं बनाती बल्कि वह उत्पाद बनाने वाले और खरीदने वाले के बीच एक माध्यम है। इसलिए उन्हें VAT देने की जरूरत नहीं है। अब GST आ आने के बाद पूरे देश में टैक्स से संबंधित एक ही तरह के नियम लागू हो गए हैं।
- एक आधिकारिक पहचान बन जाना.
GST नंबर मिल जाने से आपके Business को एक आधिकारिक पहचान मिल जाती है जिसका सीधा प्रभाव आपके Customer के ऊपर पड़ता है। कोई भी ग्राहक ऐसी संस्थाओं पर ज्यादा भरोसा करता है जो सरकारी नियमों के अनुसार काम करती हो।
- खुद की E-Commerce Website खोल सकते हैं.
यदि आपने GST Registration करवाया लिया है तो आप अपने Business को किसी E-Commerce Website पर List कर सकते हैं, इससे आपके उत्पादों की बिक्री बढ़ जाएगी।
वही यदि आप चाहे तो खुद की E-Commerce website भी शुरू कर सकते हैं। बिना GSTIN के ऐसा करना गैर कानूनी माना जाएगा।
- Loan ले सकते हैं.
अपने Business के विकास के लिए आपको कई बार पैसे की जरूरत पड़ सकती है। इसके लिए आपको Loan लेना पड़ेगा। लेकिन लोन भी तभी मिल सकता है जब आपके पास GSTIN नंबर हो। यदि आपके बिज़नेस का वार्षिक Turnover 20 लाख से ज्यादा है तो GSTIN अनिवार्य है।
GSTIN के लिए आवेदन कैसे करें?
यदि आप एक व्यापारी हैं या व्यापार शुरू करने की सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले अपने Business का GST Registration करवाना पड़ेगा तभी आप को GSTIN मिलेगा। GST Registration कराने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है
GST Portal के द्वारा.
- सबसे पहले आपको GST की आधिकारिक वेबसाइट https://www.gst.gov.in पर जाना पड़ेगा.
- यहां Home Page पर आपको Registered Now का विकल्प दिखाई देगा इस पर Click करें।
- Registration Form के पहले भाग पर आप आ जाएंगे जहां पर आपको अपना नाम, Email और मोबाइल नंबर डालना पड़ेगा।
- आवेदन फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी सही-सही भरनी भरनी है। आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है या नहीं इसकी जांच करने के लिए आपके मोबाइल नंबर और Email ID पर OTP (One-Time-Password) आएगा इसे मांगी गई जगह पर डाल दें।
- सत्यता की जाँच जो जाने पर आपको Mobile Number या Email के जरिए Application Reference Number (ARN) मिल जाएगा।
- ARN का उपयोग करके आवेदन फॉर्म का Part-B भरना है।
- आवेदन फॉर्म के साथ साथ आपको कुछ जरूरी Documents भी लगाने पड़ेंगे। जैसे कि:-
- पासपोर्ट साइज फ़ोटो
- टैक्स जमाकर्ता के बारे में जानकारी
- Bank Account के बारे में जानकारी
- Business की स्थापना से संबंधित प्रमाणपत्र.
- प्राधिकरण फॉर्म
- इसके बाद आखिरी Step आता है जिसमे आपको सभी जरूरी Documents आवेदन फॉर्म के साथ DSC या आधार OTP का उपयोग करके Submit कर देना है।
- एक बार जब आप Part-B Submit कर देते हैं तो उसके तीन दिन के भीतर GST से संबंधित अधिकारी आपके आवेदन को या तो varify करते हैं, जिसके बाद Registration Certificate (Form GST REG 06) मिल जाता है।
- या फिर यह भी हो सकता है कि संबंधित अधिकारी आपके और जानकारी मांगे जिसके लिए आपको Form GST REG 03 दिया जाएगा।
GST सेवा केंद्र के द्वारा.
लोक GST Registration के लिए असुविधा का सामना न करना पड़े इसके लिए सरकार ने GST सेवा केंद्र भी खोल रखे हैं। इन GST केंद्रों में इससे से संबंधित हर तरह के काम होते हैं।
यदि आप खुद अपना GST Registration नहीं कर सकते तो इन सेवा केंद्रों में जरूरी Documents के साथ आप जा सकते हैं और अपना आवेदन पूरा कर सकते हैं।
GST से संबंधित आपके मन में कोई और प्रश्न है जैसे कि टैक्स कितना लगेगा, टैक्स कब जमा करना पड़ेगा जैसे तमाम प्रश्नों के जवाब भी आपको GST सेवा केंद्र से मिल जाएंगे।
GSTIN का Varification कैसे करे?
कई ऐसी संस्थाएं हैं जो कि अतिरिक्त पैसा लेने के लिए और GST का टैक्स देने से बचने के लिए नकली GST Number बनवा लेते हैं। सबसे पहले तो आप यह जान ले कि हर Service देने वाले या किसी सामान बेचने वाले को अपनी रशीद में GST Number प्रिंट कर करवाना अनिवार्य है।
यदि आपको बिना GST Number का बिल दिया जाता है तो यह गैर कानूनी है। यदि आपके मन में GST Number से संबंधित किसी तरह का शंका है इसे चेक कर सकते हैं और जान सकते है कि वह GST Number सही है या नही.
- सबसे पहले आपको जीएसटी पोर्टल https://www.gst.gov.in/ पर जाना पड़ेगा.
- यहाँ Home Page पर ही ‘Search Taxpayer’ का विकल्प मिल जाएगा।
- यहाँ आपको वह GST Number डालना है, जिसके सत्यता की जाँच आप करना चाहते हैं। GSTIN डालने के बाद Captcha Code डाल दें।
- यदि वह GSTIN नंबर सही है तो आपको कुछ ऐसी जानकारी देखने को मिल जाएगी।
- GSTIN Status
- Registration Date
- बिज़नेस किस प्रकार का है जैसे कि वह कोई Company है या किसी एक व्यक्ति के द्वारा किया जाने वाला Business.
- Taxpayer किस प्रकार का है।
- पर यदि वह GSTIN अवैध है तो Website में Error लिखा हुआ आ जायेगा।
GSTIN और GSTN में अंतर.

कई लोगों को GSTIN और GSTN दोनों में अंतर स्पष्ट समझ में नहीं आता। दोनों शब्दों को एक मानने की गलती करते हैं लेकिन असल में यह दोनों शब्द अलग-अलग है और इनके मायने भी अलग-अलग है का मतलब है।
GSTIN का मतलब है Good and Service Tax Identification Number जिसका मतलब आप ऊपर तो समझ ही गए होंगे। Tax Return करने में यह Number काम आता है।
वही GSTN का Full Form है Good and Service Tax Network. असल मे यही वो Network है को GST Portal को संभालता है।
इसी नेटवर्क के माध्यम से व्यापारी आसानी से GST के लिए अपना Registration करवा पाते है और समय समय पर Tax भर पाते हैं।
GST से जुड़े आपके कुछ सवाल और उनके जवाब.
1 जुलाई 2017 को पूरे देश मे GST लागू हुआ था।
1211 वस्तुएं.
200 देश
CGST, SGST, IGST. CGST केंद्र सरकार के द्वारा लिया गया कर है। SGST, केंद्र और राज्य के बीच GST के बटवारे पर मिलने वाला GST है। राज्यों के बीच होने वाले व्यापार से मिलने वाला GST, IGST कहलाता है।
Goods & Service Tax Identification Number को GSTIN कहा जाता है। जब कोई Business, GST में Registered होता है तो उसे यह नंबर दिया जाता है।
ऐसा Business जिसका वार्षिक Turnover 20 लाख से ज्यादा है उसका GST Registration करवाना अनिवार्य है। NE और पहाड़ी इलाको में यह Limit 10 लाख है।
श्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में पूरे देश मे GST लागू किया गया था। लेकिन GST की पहली परिकल्पना पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल विहारी वाजपेयी जी ने की थी।
GST Council ने कुल 1300 उत्पाद और 500 सेवाओं को इसके अंतर्गत रखा है। इन पर चार अलग अलग दर 5%,12%,18% और 28% की दर से GST लिया जाएगा।
एक देश, एक टैक्स का विचार लेकर देश मे GST लागू किया गया था।
Summary
GST aur GSTIN kya hai aur kab lagu hua यह आप अच्छे से इस आर्टिकल के माध्यम से समज गये होंगे। भारत के हर नागरिक को जी एस टी की पुर्ण जानकारी होनी बोहत आवश्यक है।
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बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखा है आपने
Thanks